Sampurnanand Sanskrit University in Hindi : उत्तर प्रदेश में स्थित संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्धालय का विश्व में गौरवशाली इतिहास है। इसकी स्थापना सन 1791 ई. में हुई थी। अपने 230 वर्षों की गौरव गाथा के अनुरूप यह विश्वविद्धालय आज भी छात्र छात्राओं के सामने नये नये उदाहरण प्रस्तुत कर रहा है।
संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्धालय को विश्व का सबसे प्राचीनतम प्राच्य विद्धा का केंद्र माना जाता है। लेकिन आधुनिक काल के युग में यह विश्वविद्धालय संस्कृत, प्राकृत, पालि सहित सभी भारतीय भाषाओं के अलावा अनेक विदेशी भाषाओं में भी शिक्षा प्रदान कर रहा है।
सन 1791-1844 तक इसे बनारस पाठशाला के नाम से जाना गया। इसके बाद 1844-1958 तक इसका नाम काशिक राजकीय संस्कृत कॉलेज तथा 1847-1958 तक क्वींस कॉलेज के नाम से भी जाना गया।
इसके बाद 1958-1974 तक इसे वाराणसेय संस्कृत विश्वविद्धालय के नाम से पुकारा गया। लेकिन सन 1974 में इसका नाम बदल कर Sampurnanand Sanskrit University रख दिया गया।
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History of Sampurnanand Sanskrit University in Hindi : संपूर्णांनंद संस्कृत विश्व विद्धालय की स्थापना 1791 ई. में ईष्ट इंडिया कंपनी के तत्कालीन रेजीडेंट जोनाथन डंकन ने की थी।
इस विश्वविद्धालय की स्थापना करने के पीछे डंकन का मुख्य उद्देश्य भारतीयों तथा अंग्रेजों के बीच सदभाव स्थापित करना था। साथ ही संस्कृत के अभ्युदय, संरक्षण तथा विकास करना भी एक कारण था।
अपने स्थापना काल के बाद से अब तक Sampurnanand Sanskrit University ने अब तक 9 पदम पुरस्कार, 30 राष्ट्रपति पुरस्कार, 8 विश्व भारती पुरस्कार हासिल किये हैं।
Sampurnanand Sanskrit University में प्राचीन मुख्य भवन आज भी मौजूद है। इस भवन की नींव 1847 में बनारस के तत्कालीन महाराज तथा अंग्रेज सैन्य अधिकारी मेजर मारखम किटटो ने रखी थी। इस भवन की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि आप इसे किसी भी दिशा से देखें, आपको यह प्रत्येक दिशा से एक समान ही नजर आयेगा।
संस्कृत, प्राकृत, पालि, जर्मन, फ्रेंच, रसियन, तिब्बती, मंदारिन, फारसी, जैपनीज़ तथा अंग्रेजी के अलावा कई अन्य क्षेत्रीय भारतीय भाषायें
जब इस विश्वविद्यालय की स्थापना हुई थी, तब इसका नाम बनारस संस्कृत पाठशाला था। इस यूनिवर्सिटी ने अपने विकास क्रम में अनेक नाम पाये हैं। वर्तमान में हम इस विश्वविद्यालय को जिस नाम से जानते हैं, उसका नाम करण उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. संपूर्णानंद के नाम पर पड़ा है। क्योंकि उनके विशेष प्रयासों की बदौलत ही इसे विश्वविद्धालय का दर्जा हासिल हुआ था।
संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्धालय अपने छात्र छात्राओं को प्राच्य विद्धा के साथ साथ आधुनिक Courses में भी अध्ययन करने का अवसर प्रदान करता है। इसलिये हम आपको Sampurnanand Sanskrit University Courses List 2024 की जानकारी दे रहे हैं। ताकि आप खुद के लिये उपयोगी कोर्स का चयन कर सकें।
Sampurnanand Sanskrit University Faculty निम्न प्रकार हैं। कृप्या नीचे दी गयी जानकारी को Step by Step पढ़ें
वेद वेदांग Faculty की स्थापना वैदिक वांगमय के अध्ययन तथा अध्यापन को सुसंगठित करने के मकसद से की गयी थी। इस संकाय में संस्कृति के प्रति जिज्ञासा रखने वाले छात्र पढ़ने के लिये आते हैं। इस संकाय के अंतर्गत वेद, धर्मशास्त्र, ज्योतिष तथा व्याकरण विभाग आते हैं।
साहित्य संस्कृति Faculty की स्थापना 1820 में बने सात वर्षीय पाठयक्रम के तहत विभिन्न विधाओं में विशिष्ट अथ्ययन के लिये की गयी थी। इस संकाय के बनने के बाद से लगातार साहित्य संस्कृति की पढ़ाई चल रही है। इस संकाय के अंतर्गत साहित्य, पुराणेतिहास, प्राचीन राजशास्त्र, अर्थशास्त्र, संगीत आदि विभाग शामिल हैं।
दर्शन संकाय के तहत संपूर्णांनंद संस्कृत विश्वविद्धालय में अपनी स्थापना काल के पूर्व से ही दर्शन की विभिन्न शाखाओं के तहत अध्ययन तथा अध्यापन कार्य हो रहा है। इस संकाय के अंतर्गत न्याय, वैशेषिक सांख्ययोगत्रंत्रागम, पूर्व मीमांसा, वेदांत, तुलनात्मक धर्म दर्शन सहित अनेक विभाग आते हैं।
श्रमण विद्धा संकाय SSVV की शैक्षिक संस्थाओं में एक है। यह एक स्वतंत्र संकाय है। इस संकाय के अंतर्गत बौद्ध दर्शन, जैन दर्शन, पालि व थेरवाद, प्राकृत एवं जैनागम, संस्कृत विद्धा सहित अनेक विभाग आते हैं।
Sampurnanand Sanskrit University में केवल प्राच्य विद्धा की ही नहीं अपितु आधुनिक प्रोफेशनल कोर्सेस की भी पढ़ाई की जाती है। इस Faculty की स्थापना विश्वविद्धालय में छात्र छात्राओं को आधुनिक प्रोफेशनल शिक्षा प्रदान करने के लिये ही हुई है। इस संकाय के अंतर्गत विदेशी भाषा डिप्लोमा, विज्ञान, बीएड, एमएड, बीलिब, पत्रकारिता तथा ग्रंथालय विज्ञान सहित अनेक विभाग आते हैं।
Sampurnanand Sanskrit University Ayurved Faculty की स्थापना 23 अगस्त सन 1965 में आयुर्वेद महाविद्धालय के परिसर में की गयी थी। इसके प्रथम प्राचार्य कविराज पंडित सत्य नारायण शास्त्री थे। सन 1972 में इसे स्वत्रंत महाविद्धालय के रूप में मान्यता प्रदान कर दी गयी। अब इसे राजकीय आयुर्वेद महाविद्धालय व चिकित्सालय के रूप में जाना जाता है। इस संकाय के पास 110 से अधिक बेड का अस्पताल भी है।
SSVV में उच्चकोटि के 2 मुख्य संस्थान भी हैं। इनके नाम प्रकाशन संस्थान तथा अनुसंधान संस्थान हैं। जिनमें शोध संस्थान के द्धारा सरस्वती भवन में संरक्षित दुर्लभ ग्रंथों के लिये अनुसंधान कोर्स वर्क कराया जाता है।
इसके अतिरिक्त यहां का प्रकाशन संस्थान में दुर्लभ किस्म की पांडुलिपियों का संपादन तथा प्रकाशन मुख्य रूप से कराया जाता है।
देश के इस नामचीन विश्वविद्धालय में कुल 22 विभाग हैं। जिनके द्धारा विभिन्न पाठयक्रमों में शिक्षा प्रदान की जाती है।
एसएसवीवी में कुल 4 छात्रावास हैं। जिनके नाम नीचे दिये जा रहे हैं।
संपूर्णांनंद संस्कृत यूनिवर्सिटी में एक Sports Department भी है। इसकी स्थापना तत्कालीन कुलपति डॉ. आदित्य नाथ झा ने 1958 में की थी। यूनिवर्सिटी के क्रीडा विभाग के द्धारा धनुर्विधा, कुश्ती, फुटबॉल, बॉलीबाल, दौड़ जैसी अनेक सालाना प्रतिस्पर्धायें आयोजित की जाती हैं।
संपूर्णांनंद विश्वविद्धालय के क्रीड़ा विभाग की देखरेख में 28वें ओलंपिक स्पर्धा, ऐथेंस यूनिवर्सिटी की टीम ने भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व किया था।
इस विश्वविद्धालय के छात्र राकेश को 7वीं जूनियर वर्ल्ड कप धनुर्विधा प्रतिस्पर्धा 2003 न्यूयार्क में कांस्य पदक हासिल हुआ था।
वहीं एक छात्र विश्वास ने यूरोपियन ग्रेंडपिक्स टर्की में भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व किया था। वर्ष 2006 में विश्वास को 15वें एशियन खेल, दोहा में कांस्य पदक मिला था।
Sampurnanand Sanskrit University Affiliated College List Kaise Dekhe : संपूर्णांनंद संस्कृत विश्वविद्धालय से संबंद्ध कॉलेजों की सूची देखने के लिये आपको SSVV की आधिकारिक वेबसाइट https://www.ssvv.ac.in/ पर जाना होगा।
ऊपर दिये गये लिंक पर क्लिक करते ही आप SSVV की आधिकारिक वेबसाइट के Home Page पर पहुंच जाते हैं।
तत्कालीन रेजीडेंट जोनाथन डंकन ने संस्कृत पाठशाला में विश्व प्रसिद्ध सरस्वती भवन पुस्तकालय की भी नींव रखी थी। इस लाइब्रेरी के पहले पुस्तकालयाध्यक्ष पंडित गोपीराज कविराज थे। 23 साल तक यह लाइब्रेरी बनारस के कर्णंघंटा मोहल्ले के विशाल भवन में चलती रही। बाद में इसे संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के कैंपस में ट्रांसफर कर दिया गया।
सरस्वती भवन पुस्तकालय में 1 लाख से अधिक दुर्लभ पांडुलिपियां संरक्षित करके रखी गयी हैं। यहां हस्तलिखित कागज पर 1000 साल पुरानी श्रीमदभागवत गीता, स्वर्णपत्र से आच्छादित (लाक्ष पत्र) पर कर्मवाचा (वर्मी लिपि) रास पंचाध्यायीय (सचित्र) स्वर्णाक्षर युक्त, अनेश वैशिष्टपूर्णं पांडुलिपियां बांग्ला, मैथिली, शारदा, गुरूमुखी, उडि़या, फारसी, अरबी, देवनागरी आदि में हैं।
यहां आप हस्तलिखित के साथ भोज पत्र, काष्टपत्र, ताड़ पत्र, स्वर्ण पत्र, आदि पर पांडुलिपियां देख सकते हैं। यह सभी ऐतिहासिक पांडुलिपियां Saraswati Bhavan Pustakalaya की 3 इमारतों में व्यवस्थित तथा संरक्षित हैं।
Sampurnanand Sanskrit University Observatory : इस विश्वविद्यालय में अंतरिक्ष (Space) में होने वाली उथल पुथल की गणना के लिये Observatory की स्थापना भी की गयी थी। यह एक पंरपरागत वेधशाला है। यहां नाड़ीवृत यंत्र, क्रांतिवृत यंत्र, बृहत्ससम्राट यंत्र, चक्र यंत्र, यम्योत्तरभित्ति यंत्र, कर्कमकररासशिवलय यंत्र, तुरीय यंत्र, षष्ठयंय यंत्र सहित अनेक प्रकार अन्य महत्वपूर्णं यंत्र भी लगे हुये हैं। इन यंत्रों की सहायता से ज्योतिष संबंधी शोध एवं गणनायें की जाती हैं।
संपूर्णांनंद संस्कृत विश्वविद्यालय मुख्य रूप से प्राच्य विद्धा से जुड़े रोजगार उपलब्ध कराता है। यहां पढ़ने वाले छात्रों के Career संबंधी जरूरतों को पूरा करने के मकसद से Sanskrit University में Placement Cell का गठन किया गया है।
इस विश्वविद्धालय में पढ़े हुये कर्मकांडी छात्रों की देश विदेश में भारी डिमांड है। इसलिये इस University से कर्मकांड की शिक्षा हासिल करना फायदे का सौदा है।
Sampurnanand Sanskrit University Admission Process की जानकारी के लिये आप इस विश्वविद्धालय की आधिकारिक वेबसाइट पर विजिट कर सकते हैं।
तो दोस्तों यह थी हमारी आज की पोस्ट Sampurnanand Sanskrit University in Hindi – Sampurnanand Sanskrit University Affiliated College List यदि आप SSVV Admission Process के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं, तो आप हमसें कमेंट बॉक्स के जरिये पूछ सकते हैं।
This post was last modified on January 2, 2024 10:54 am
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